आन्तरिक वाणी
जब आत्मा के विभिन्न कोश साधना के द्वारा विलीन हो जाते हैँ, जब मानसिक अनुशासन द्वारा मन की विविध वृर्त्तयोँ का दमन हो जाता है जब चेतन-मन कार्य नहीँ करता, तब आप आध्यात्मिक जीवन, अतिचेतन-मन के साम्राज्य मेँ घुसते हैँ, जहाँ बुद्धि तथा अपरोक्षानुभूति का प्रकटीकरण होता है । आप शान्ति के साम्राज्य मेँ प्रवेश करते हैँ, जहाँ कोई है नहीँ जिससे बात की जाये । आप ईश्वर की वाणी सुनेँगे, जो बहुत ही शुद्ध तथा स्पष्ट होगी तथा जिससे आप प्रेरणा प्राप्त करेँगे । सावधानी तथा रुचिपूर्वक उस वाणी को सुनिए । यह आपका पथ-प्रदर्शन करेगी । यह ईश्वर की वाणी है ।
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