जपयोग JAP YOG
किसी मन्त्र अथवा भगवान् के नाम का जप करना ही जपयोग है । इस कलियुग मेँ ईश्वर-साक्षात्कार के लिए जप सरल साधन है । तुकाराम, प्रह्लाद, वाल्मीकि, धृव तथा बहुत से अन्य लोगोँ ने जप के द्वारा ही मुक्ति प्राप्त की । भगवान् श्रीकृष्ण गीता (10-25) मेँ कहते हैँ__"यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि" __यज्ञोँ मेँ जप-यज्ञ हूँ ।
जप तीन प्रकार के हैँ__वैखरी (जोरोँ से), उपांशु (गुन-गुनाहटपूर्वक ) तथा मानसिक (मन के द्वारा मूक जप) । मानसिक जप अधिक शक्तिशाली है । वैखरी जप की अपेक्षा मानसिक जप से सहस्रगुना अधिक लाभ होता है । जब मन निरुद्देश्य विचरण करे तो वैखरी जप का अभ्यास कीजिए ।
जप स्वाभाविक हो जाना चाहिए । इसे सात्त्विक भाव अथवा शुद्धता, प्रेम तथा श्रद्धा के साथ करना चाहिए । ईश्वर के नाम अथवा मन्त्र मेँ अचिन्त्य शक्ति है । हर नाम मेँ अनन्त शक्ति है ।
जिस भाँति साबुन/डिटरजेन्ट कपड़े के मल को दूर करता है, उसी भाँति जप का अभ्यास मन के मल को दूर करता है । जप मेँ नियमित रहिए । जप पापोँ को दूर करता तथा भक्त को ईश्वर का साक्षात्कार कराता है ।
गलत अथवा सही तरीके से, जाने अथवा अनजाने, सावधानीपूर्वक अथवा लापरवाही के साथ, भाव-सहित अथवा भाव-रहित कैसे भी जप क्योँ न किया जाये, इससे वाञ्छित फल प्राप्त होना निश्चित है । कुछ समय के अनन्तर भाव स्वयं उत्पन्न होगा । चार बजे प्रातः उठिए । दो घण्टे तक जप कीजिए । इससे आप अधिकतम लाभ प्राप्त करेँगे ।
तर्क अथवा बुद्धि के द्वारा ईश्वर के नाम की महिमा स्थापित नहीँ की जा सकती । भक्ति, श्रद्धा तथा सतत नाम-जप के द्वारा निश्चय ही इसका साक्षात्कार किया जा सकता है । ईश्व के नाम के प्रति आदर तथा श्रद्धा रखिए । बहस न कीजिए ।
भगवान् हरि के भक्त 'हरि ओउम्' अथवा 'ॐ नमो नारायणाय'-मन्त्र का, श्रीराम के भक्त 'श्रीराम' अथवा 'सीताराम' अथवा गं गणपतये नमः अथवा 'ओउम् श्रीराम' जय राम, जय-जय राम' का, श्रीकृष्ण के भक्त 'ओउम् नमो भगवते वासुदेवाय'-मन्त्र तथा भगवान् शिव के भक्त 'ओउम् नमः शिवाय'-मन्त्र का जप कर सकते हैँ । नित्य-प्रति दो सौ माला जप कीजिए । अपने गले मेँ माला पहनिए । मन को ईश्वर की ओर प्रवृत्त करने के लिए माला कोड़े का काम करती है ।
हे नर ! नाम मेँ आश्रय ग्रहण कीजिए । नाम तथा नामी अभिन्न हैँ । इस कलियुग मेँ जप ही ईश्वर तक पहुँचने तथा अमरत्व एवं शाश्वत सुख को प्राप्त करने का सबसे आसान, सबसे सुगम, सबसे निश्चित तथा सबसे सुरक्षित मार्ग है । भगवान् की जय ! उसके नाम की जय !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें