मंगलवार, 17 मई 2022

नव-वर्ष का सन्देश

 नव-वर्ष का सन्देश 


 उस अविनाशी पुरुष के आदेश से ही मिनट, घण्टे, दिन तथा रात्रि अलग-अलग रहते हैँ । उस अमर ब्रह्म के आदेश से ही मास, वर्ष, ऋतुएँ तथा अयन अलग-अलग रहते हैँ । जो उस अविनाशी पुरुष को जानता है, वह जीवन्मुक्त है । 


 समय व्यतीत होता जाता है । नये पुराने हो जाते हैँ तथा पुराने पुनः नये बन जाते हैँ । आज यह नव-वर्ष का बहुत ही शुभ दिवस है । ईश्वर ने आपको इस वर्ष यह दूसरा अवसर दिय है जिससे आप अपनी मुक्ति के लिए प्रयत्नशील बन सकेँ । आज मनुष्य का जीवन है, कल वह नहीँ रहता ; अतः इस स्वर्णिम अवसर से लाभ उठा कर उग्र प्रयास कीजिए तथा जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कीजिए । इस नव-वर्ष के प्रत्येक क्षण का सर्वोत्तम उपयोग कीजिए । अपनी प्रस्तुप्त क्षमताओँ को प्रस्फुटित कीजिए । जीवन को पुनः प्रारम्भ, उन्नत तथा प्रगत करने और महापुरुष अथवा सक्रिय योगी बनने के लिए आपको यह एक नया अवसर मिला है । 


 नव-वर्ष के इस शुभ दिवस पर अपनी पुरानी सांसारिक वासनाओँ अथवा प्रवृत्तियोँ और कुसंस्कारोँ अथवा वृत्तियोँ को विधष्ट करने तथा इन्द्रियोँ एवं मन का दमन करने के लिए प्रबल सङ्कल्प कर लीजिए ।


 समय के मूल्य को जानिए । समय बहुत ही मूल्यवान्‌ है । प्रत्येक क्षण का सदुपयोग कीजिए । अपने आदर्श तथा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ही जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग होना चाहिए । आज के कार्य को कल के लिए न छोड़िए ; वह 'कल' कभी नहीँ आयेगा । अभी अथवा कभी नहीँ । बेकार गपशप बन्द कीजिए । अभिमान, आलस्य तथा तमस्‌ को नष्ट कीजिए । अतीत को भूल जाइए । सुन्दर एवं स्वर्णिम भविष्य आपकी प्रतिक्षा कर रहा है । 


 समदृष्टि ज्ञान की परख है । निष्कामता सद्‌गुण की परख है । ब्रह्मचर्य नीति की परख है । एकता आत्मसाक्षात्कार की परख है । नम्रता भक्ति की परख है ; अतः निःस्वार्थ, नम्र तथा शुद्ध बनिए । समदृष्टि का विकास कीजिए । असीम के साथ एक बन जाइए ।


 सत्य बीज है । अहिँसा मूल है । ध्यान वृष्टि है । शान्ति फुल है । मोक्ष फल है ; अतः सत्य बोलिए । अहिँसा एवं ध्यान का अभ्यास कीजिए । शान्ति का अर्जन कीजिए । आप जन्म-मृत्यु के झमेले से मुक्ति प्राप्त कर लेँगे तथा इसके फल स्वरूप नित्य सुख का उपभोग करेँगे । 


 सत्य के लिए आध्यात्मिक योद्धा बनिए । विवेक का कवच धारण कीजिए । वैराग्य की ढाल रखिए । धर्म का झण्डा उठाइए । सोऽहम्‌ अथवा शिवोऽहम्‌ का गान कीजिए । ॐ, ॐ, ॐ अथवा प्रणव का बैण्ड बजाते हुए वीरतापूर्वक अग्रसर होते जाइए । साहस का शङ्ख फूँकिए । शङ्का, अज्ञान, राग तथा अभिमान-रूपी शत्रुओँ को मार कर सुखमय ब्रह्म के असीम साम्राज्य मेँ प्रवेश कीजिए । आत्मा के अक्षय धन पर आधिपत्य प्राप्त कीजिए । दिव्य अमरत्व का आस्वादन कीजिए । अमरत्व का अमृत-पान कीजिए ।


 यह सुखमय नव-वर्ष का दिन तथा इसके अनुगामी सारे दिन एवं भविष्य के वर्ष आपको सफलता, शान्ति, सम्पत्ति एवं सुख प्रदान करेँ ! आप सभी सत्य एवं धर्म के मार्ग का अनुसरण करेँ ! दिव्य जीवन के पथ पर चलते हुए, ईश्वर के नाम का गायन करते हुए, अपनी वस्तुओँ मेँ दूसरोँ को हिस्सा देते हुए, आत्मभाव के साथ निर्धनोँ तथा रोगियोँ की सेवा करते हुए और मौन ध्यान के द्वारा परमात्मा मेँ मन को विलीन करते हुए आप ब्रह्म के नित्य सुख का उपभोग करेँ । 


  









जय श्री जगन्नाथ 

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