मंगलवार, 17 मई 2022

आन्तरिक मनुष्य का दार्शनिक विश्लेषण

 आन्तरिक मनुष्य का दार्शनिक विश्लेषण 


 भौतिक शरीर, सूक्ष्म शरीर, प्राण, बुद्धि, नैसर्गिक मन, आध्यात्मिक मन तथा आत्मा___ये मनुष्य के सात तत्त्व हैँ । बुद्धि शुद्ध विवेक है । बुद्धि का स्थान शिर की चोटी से ठीक नीचे मस्तिष्क के पिनियल ग्लाण्ड (Pineal Gland) मेँ है । जिन लोगोँ मेँ विवेक का विकास हुआ है, उन्हीँ मेँ बुद्धि व्यक्त होती है । सांसारिक लोगोँ की साधारण बुद्धि को व्यावहारिक बुद्धि कहते हैँ ; यह तमसाच्छन्न तथा सीमित तोती है ।


 प्राण जीवनशक्ति अथवा जीवशक्ति है । यह ब्रह्म का नित्य प्रतीक है । यह हिरण्यगर्भ है । यह सूक्ष्म तथा स्थूल शरीर के मध्य का सम्बन्ध-सूत्र है । प्राण को भौतिक प्राण तथा सूक्ष्म प्रण___दो भागोँ बाँटा गया है । श्वास-क्रिया भौतिक प्राण की बाह्य अभिव्यक्ति है । सारे विचार चित्त स्थित सूक्ष्म-प्राण के स्पन्दन से उत्पन्न होते हैँ ।


 कारण शरीर ही स्थूल तथा सूक्ष्म शरीरोँ का आधार है । बुद्धिशक्ति पराशक्ति है । इस शक्ति को प्राप्त कीजिए । इससे आप सत्‌ को प्राप्त कर लेँगे ।


 चित्त अर्द्ध-चेतन मन है । इसकी दो परतेँ हैँ । एक परत है आवेग के लिए तथा दूसरी है निश्चेष्ट-स्मृति के लिए । नैसर्गिक मन मनुष्य की निम्न-प्रकृति है । यह काम-मनस्‌ है । आध्यात्मिक मन उच्चतर मन है । मन का स्थान हृदय है । सोमचक्र मस्तिष्क के निचले तल का सबसे निचला भाग है, उससे सम्बन्धित मन को बुद्धीन्द्रिय कहते हैँ । मनोनाश से तात्पर्य है निम्न-प्रकृति अथवा काम-मनस्‌ का विनाश । सांख्य-बुद्धि अथवा सांख्य-दर्शन के अनुसार सङ्कल्पशक्ति तथा बुद्धि के समन्वय को बुद्धि कहते हैँ । मन ही पिण्डाण्ड है । मन ही माया है । मन प्रकृति तथा पुरुष, पदार्थ तथा आत्मा का मध्य स्थानीय है ।


  


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