मंगलवार, 17 मई 2022

योगासन

 योगासन  


 स्वास्थ्य ही धन है । स्वास्थ्य निश्चय ही स्पृहणीय वस्तु है । सुन्दर स्वास्थ्य सबते लिए वरदान ही है । योगासनोँ के नियमित अभ्यास द्वारा यह प्राप्त किया जा सकता है । 


 आसनोँ के अभ्यास से आवेगोँ पर नियन्त्रण होता है तथा मानसिक शान्ति की प्राप्पि होती है । यह समस्त शरीरप्रणाली मेँ प्राण को सम-रूप से वितरित करता है, भीतरी अङ्गोँ के स्वस्थ कार्य-सञ्चालन मेँ सहायता देता है तथा उदर-सम्बन्धी विभिन्न अङ्गोँ के लिए मालिश का काम करता है । शारीरिक व्यायामोँ के कारण प्राण बाहर की और आते हैँ; परन्तु आसनोँ के द्वारा प्राण भीतर की ओर आते हैँ । आसनोँ का अभ्यास आपके बहुत से रोगोँ का निवारण कर डालता है । यह कुण्डलिनी-शक्ति को जाग्रत करता है । योगाभ्यास के ये प्रधान लाभ हैँ, जो अन्य प्रणालियोँ मेँ नहीँ पाये जाते ।


 प्रतिदिन कम-से-कम पन्दरह मिनट तक कुछ आसन किया किजिए । इसके द्वारा आपको सुन्दर स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी । अभ्यास मेँ सदा आपको नियमित रहना चाहिए । नियमितता परम आवश्यक है । भुजङ्ग, शलभ, धनुः, सर्वाङ्ग, हल तथा पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास कीजिए । भुजङ्ग, शलभ तथा धनुरासन कोष्ठवद्धता तथा कमर के दर्द को दूर कर देँगे । शीर्ष, सर्वाङ्ग तथा हलासन ब्रह्मचर्य-पालन, रिढ़ को लचकीला रखने तथा सभी रोगोँ के निवारण मेँ सहायक हैँ । पश्चिमोत्तानासन के द्वारा आपके पेट की चर्बी कम होगी तथा आपकी पाचन-शक्ति का विकास होगा । योगासनोँ के अभ्यास के अन्त मेँ सवासन के द्वारा अपने शरीर के सभी अङ्गोँ को आराम दीजिए । 


 आसन सदा प्रातःकाल खाली पेट या भोजन करने के तीन घण्टे बाद करने चाहिए । प्रातःकाल का समय आसन करने के लिए सर्बोत्तम है । आसन करते समय ऐनक न पहनिए । लङ्गोटी अथवा कौपीन को धारण कीजिए । मिताहाय कीजिए । योगासनोँ मेँ सफलता के लिए ब्रह्मचर्य का पालन बहुत ही आवश्यक है । आरम्भ मेँ प्रत्येक आसन के लिए कम-से-कम समय दीजिए; तब धीरे-धीरे समय की वृद्धि कीजिए । अभ्यास आरम्भ करने से पहले शौचादि से आप निवृत्त हो जाइए । दश वर्ष से ऊपर के सभी लड़के, लड़कियाँ तथा स्त्रियाँ भी आसनोँ का अभ्यास कर सकते हैँ ।


 संसार को सुन्दर स्वस्थ लड़के तथा लड़कियोँ की आवश्यकता है । आज हम भारत मेँ क्या देख रहे हैँ ? ऋषियोँ तथा ज्ञानियोँ का देश भारत, जहाँ भीष्म, भीम, अर्जुन, द्रोण, अश्वत्थामा, कूपा, परशुराम, तथा सुवाष बोष, भगत सिँह अन्य वीर योद्धा पैदा हुए थे, वह देश जो अदम्य शौर्य तथा अद्वितीय शक्तिशाली अनेकानेक राजपूत सेनानायकोँ सेनानायकोँ से सम्पन्न था, आज दुर्बल तथा कायर व्यक्तियोँ से भरा हुआ है । बच्चे ही बच्चे उत्पन्न करते हैँ । स्वास्थ्य के नियमोँ की उपेक्षा तथा अवहेलना की जा रही है । राष्ट्र दुःख भोग रहा तथा मृतप्राय हो रहा है । आज जगत्‌ को ऐसे असंख्य वीर, नैतिक तथा आध्यात्मिक सैनिकोँ की आवश्यकता है जो अहिँसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य तथा अपरिग्रह__इन पाँच यमोँ से सम्पन्न होँ ।

 



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