एकश्लोकि रामायणम् ३
जन्मादौ क्रतुरक्षणं मुनिपतेः स्थाणोर्धनुर्भञ्जनं
वैदेहीग्रहणं पितुश्च वचनाद्घोराटवीगाहनम् ।
कोदण्डग्रहणं खरादिमथनं मायामृगच्छेदनं
बद्धाब्धिक्रमणं दशास्यनिधनं चैतद्धि रामायणम् ॥
इति एकश्लोकि रामायणं (३) सम्पूर्णम् ॥
🔸“संयुक्त परिवार को तोड़कर उपभोक्ता बनाया गया भारत: एक खतरनाक साजिश की सच्चाई* ⚡“जब परिवार टूटते हैं, तभी बाजार फलते हैं” — ये सिर्फ विच...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें