उड़ीसा (अब ओडिशा) की धार्मिक नगरी पुरी में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलराम और देवी सुभद्रा का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यहां हर आषाढ़ महीने (जून-जुलाई) में विशाल रथयात्रा का भव्य आयोजन होता है
*देवताओं का स्नान समारोह व रथयात्रा*:- जेठ महीने की पूर्णिमा तिथि को देवस्नान पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है , इस पर्व से ठीक 16 दिन बाद , आषाढ शुक्ल द्वितीया 27/6/2025 को विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा पर्व मनाया जायेगा।
इस रथ की रस्सियों को खींचने और छूने मात्र के लिए पूरी दुनिया से श्रद्धालु यहां आते हैं, क्योंकि भगवान जगन्नाथ के भक्तों की मान्यता है कि इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माना जाता है कि भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे अपने धामों की यात्रा पर जाते हैं तो हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान करते हैं। गुजरात के द्वारिका में वस्त्र पहनते हैं। जगन्नाथपुरी
में भोजन करते हैं । और दक्षिण में रामेश्वरम में विश्राम करते हैं।
द्वापर के बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ।
पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं।
हिन्दुओं की प्राचीन और पवित्र 7 नगरियों में पुरी उड़ीसा राज्य के समुद्री तट पर बसा है। जगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है।
भारत के पूर्व में बंगाल की खाड़ी के पूर्वी छोर पर बसी पवित्र नगरी पुरी उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से थोड़ी दूरी पर है। आज का उड़ीसा प्राचीनकाल में उत्कल प्रदेश के नाम से जाना जाता था।
पुराणों में इसे धरती का वैकुंठ कहा गया है। यह भगवान विष्णु के चार धामों में से एक है।
जगन्नाथ मंदिर में सबर जनजाति के पुजारियों के अलावा ब्राह्मण पुजारी भी हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा से आषाढ़ पूर्णिमा तक सबर जाति के दैतापति जगन्नाथजी की सारी रीतियां करते हैं।
महाभारत के वनपर्व के अनुसार सबसे पहले सबर जाति विश्ववसु ने नीलमाधव के रूप में इनकी पूजा की थी। इसलिय आज भी पुरी के मंदिर में कई सेवक हैं जिन्हें दैतापति के नाम से जाना जाता है।
- जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है.
- मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है. इस चक्र को किसी भी दिशा से खड़े होकर देखने पर ऐसा लगता है कि चक्र का मुंह आपकी तरफ है.
- मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं. यह प्रसाद मिट्टी के बर्तनों में लकड़ी से ही पकाया जाता है. इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है फिर नीचे की तरफ से एक के बाद एक प्रसाद पकता जाता है.
- मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखने पर ही आप समुद्र की लहरों से आने वाली आवाज को नहीं सुन सकते. आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देने लगती है. यह अनुभव शाम के समय और भी अलौकिक लगता है.
- हमने ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे और उड़ते देखे हैं. जगन्नाथ मंदिर की यह बात आपको चौंका देगी कि इसके ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता. यहां तक कि हवाई जहाज भी मंदिर के ऊपर से नहीं निकलता.
- मंदिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिए कभी कम नहीं पड़ता ।
- दिन के किसी भी समय जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती.
- एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोज बदलता है. ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 वर्षों के लिए बंद हो जाएगा.
- आमतौर पर दिन में चलने वाली हवा समुद्र से धरती की तरफ चलती और शाम को धरती से समुद्र की तरफ. चकित कर देने वाली बात यह है कि पुरी में यह प्रक्रिया उल्टी है।
*क्या आप जानते है पूरी जी मे भगवान कृष्ण के साथ राधा या रुक्मिणी नहीं बल्कि बलराम जी और सुभद्रा जी क्यो है*
एक कथा प्रचलित है -
द्वारिका में भगवान श्री कृष्ण जी शयन करते हुए एक रात निद्रा में अचानक राधे-राधे बोल पड़े। रुकमणी जी ने यह बात अन्य महारानियो को बतायी , महारानियों को आश्चर्य हुआ।
रुक्मिणी जी ने अन्य रानियों से वार्ता की कि, सुनते हैं वृन्दावन में राधा नाम की गोपकुमारी है हम सबकी इतनी सेवा निष्ठा भक्ति के बाद भी प्रभू ने उनको नहीं भुलाया है।
राधा जी की , भगवान श्रीकृष्ण के साथ रहस्यात्मक रास लीलाओं के बारे में माता रोहिणी भली प्रकार जानती थीं। उनके पास जाकर सभी महारानियों ने अनुनय-विनय किया कि हमे भगवान की बाळ लीला के बारे में बताये ।
पहले तो माता रोहिणी ने टालना चाहा लेकिन महारानियों के हठ करने पर कहा, ठीक है। सुनो,
पहले सुभद्रा को पहरे पर दरवाजे में बिठा दो, ताकि कोई अंदर न आने पाए, माता जी के कहने पर सुभद्रा दरवाजे पर बाहर बैठ गयी । अंदर माता रोहिणी जी सभी महारानियो को भगवान की बाळ लीला सुनाने लगी ।
कुछ समय बाद श्री कृष्ण जी अन्त:पुर की ओर आते दिखाई दिए। सुभद्रा ने उचित कारण बता कर द्वार पर ही रोक लिया।
थोडी ही देर हुआ था बलराम जी भी आ गये , और अंदर जाने लगे , लेकिन सुभद्रा जी ने उन दोनों को अंदर जाने से रोकने के लिय बीच में खडे होकर एक हाथ से कृष्ण जी और दुसरे हाथ से बलदाऊ जी के हाथ को पकड कर बाहर में ही रोकने की कोशिष करने लगी।
बहन के द्वारा पकडे जाने से दोनों भाई सुभद्रा जी को आंखे तरेर कर हाथ छोडने के लिय कहने लगे। भाव विभोर कर देने वाला भाई बहन के इस प्रेमभाव वाले वातावरण युक्त दुर्लभ दृश्य में
अचानक नारद जी का आगमन हो गया , दोनों भाई के बीच में बहन सुभद्रा की इस दुर्लभ झांकी के दर्शन से गदगद हो गये । और अनायास ही नारद जी के मुखार बिंद से निकल पडा - वाह प्रभू वाह ,,,
*भले बिराजो नाथ,तब से यह भजन उडीसा क्षेत्र में गाया जाता है।
नारद जी ने भगवान से प्रार्थना की कि हे भगवान आप तींनो के जिस महाभाव में लीन मूर्तिस्थ रूप के मैंने दर्शन किए हैं, वह सामान्य जनों के दर्शन हेतु पृथ्वी पर सदैव सुशोभित रहे।
महाप्रभु ने तथास्तु कह दिया। तब से भगवान उसी स्वरूप में जगन्नाथ पुरी में विराजमान हो गये।
हर 12 वर्ष के अंतराळ में जिस समय 2 आषाढ मास होता है तब भगवान जगन्नाथ जी के श्री विग्रहो को बदला जाता है।
महानीम नाम का एक पवित्र पेड जिसमें शँख, चक्र, गदा ,पदम का निशान हो , जिसके नीचे सर्पो का तथा उपर चिडियो का वास न हो।
ऐसे पवित्र पेड से नया विग्रह मन्दिर परिसर स्थित मूर्ति निर्माण शाळा में बनाया जाता है।
पुराने श्री विग्रह को मन्दिर परिसर में ही कैवल्य वैकुंठ ( कोइली वैकुंठ )में विश्राम दे दिया जाता है।
*दुनिया की सबसे बडी रसोई*
जगन्नाथ मंदिर की रसोई दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस विशाल रसोई में भगवान को चढ़ाने वाले महाप्रसाद तैयार करने के लिए लगभग 500 रसोइए तथा उनके 300 सहयोगी काम करते हैं।
मान्यता है कि इस रसोई में जो भी भोग बनाया जाता है, उसका निर्माण माता लक्ष्मी की देखरेख में ही होता है। यह रसोई विश्व की सबसे बड़ी रसोई के रूप में जानी जाती है। यह मंदिर के दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है।
यहां बनाया जाने वाला हर पकवान हिंदू धर्म पुस्तकों के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही बनाया जाता है। भोग पूरी तरह शाकाहारी होता है। उसमें किसी भी रूप में प्याज व लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता।
भोग मिट्टी के बर्तनों में तैयार किया जाता है। यहां रसोई के पास ही दो कुएं हैं जिन्हें गंगा व यमुना कहा जाता है। केवल इनसे निकले पानी से ही भोग का निर्माण किया जाता है। इस रसोई में 56 प्रकार के भोगों का निर्माण किया जाता है।
रसोई में पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी व्यर्थ नहीं जाएगी, चाहे कुछ हजार लोगों से 20 लाख लोगों को खिला सकते हैं।
मंदिर में भोग पकाने के लिए 7 मिट्टी के बर्तन एक दूसरे पर रखे जाते हैं और लकड़ी पर पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में सबसे ऊपर रखे बर्तन की भोग सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद भोग तैयार होता जाता है।
मंदिर की कुछ सीढ़ियां चढ़ने पर आता है आनंदबाजार। यह वही जगह है जहां महाप्रसाद मिलता है। कहते हैं इस महाप्रसाद की देख-रेख स्वयं माता लक्ष्मी करती हैं।
*मन्दिर की व्यापकता*
मन्दिर का क्षेत्रफल चार लाख वर्ग फीट में है भूमि सतह से मन्दिर की उंचाई 214 फीट जिसके उपर 15 फीट की गोलाई का नीलचक्र जिसके उपर 18 फीट की लम्बे बांस पर महाध्वज फहराता है। प्रतिदिन शाम के समय एक सेवक अपने पीठ पर ध्वज पताका का बडा सा गठरी अपने पीठ पर बांधकर बंदर की भांति मन्दिर के उपर चढता है।भयानक समुद्री तेज हवा के प्रवाह के मध्य पीठ से गठरी निकाल कर नीलचक्र व बांस के पताका को बदलकर पुराना पताका फिर से पीठ में बांधकर नीचे आता है। प्रत्येक एकादशी को ध्वजारोहण के बाद नीलचक्र के उपर ही मन्दिर शीर्ष की आरती की जाती है।
( जब भी आप जगन्नाथ जी जाने की योजना बनाए तो एकादशी तिथि को ध्यान में रखे , जिस दिन मन्दिर शीर्ष की आरती होती है , अन्य दिन में केवळ ध्वज पताका फहराया जाता है)
*रथ में यात्रा* भगवान के रथ में यात्रा पर निकलने से सम्बंधित बहुत सी कथाये है । जिसके कारण इस महोत्सव का आयोजन होता है।।
1. कुछ लोग कहते है कि सुभद्रा अपने मायके आती है तो भाईयों से नगर भ्रमण की इक्छा वयक्त करती है तब दोनों भाई अपने बहन को लेकर रथ में घुमाने ले जाते है।
2. गुंडीचा मन्दिर में प्रतिष्ठित देवी इनकी मौसी लगती है जो तीनो भाई बहनो को अपने घर आने का निमंत्रण देती है। तब दोनों भाई बहन के साथ मौसी के घर 10 दिन के लिय रहने जाते है।
3. 15 दिन तक बीमार रहने के बाद स्वास्थ्य लाभ व आराम करने के लिय भगवान अपने भाई बहन के साथ मौसी के घर जाते है।
*गजा मुंग का प्रसाद* पुरे साल भर भगवान जगन्नाथ जी को 56 भोग परिपूर्ण रूप से लगाया जाता है उस भगवान को उनके सबसे बडे पर्व रथयात्रा के दिन भीगे हुए चना और मुंग का भोग क्यो लगाया जाता है?????
भगवान जगन्नाथ जी की पूजा दिनचर्या में बहुत कुछ बातें दुर्लभ है।
जैसे - प्रत्येक सोमवार को जनेऊ बदला जाता है , हर बुधवार को हजामत बनायी जाती है , वैशाख शुक्ल तीज से 21 दिन की चंदन यात्रा, ज्येष्ठ पूर्णिमा को 108 घडो के जल से स्नान कराया जाता है, जिससे भगवान का स्वास्थ्य खराब हो जाता है तब से लेकर 15 दिन तक भगवान की सेवा उनके स्वास्थ्य लाभ के रूप में काढे का भोग लगाकर किया जाता है।
इसी क्रम में अंकुरित चने व मुंग का भोग 16 वें दिन यात्रा के उत्सव पर्व पर किया जाता है इस प्रसाद को *गजामुंग* के नाम से जाना जाता है। यह प्रसाद पुरे साल भर में एक ही दिन रथयात्रा के ही दिन प्राप्त किया जा सकता है।
*देश विदेश में भी आयोजन* रथ यात्रा का आयोजन देश के प्राय सभी हिस्सो में होता है भारत देश के कई मन्दिरो से भगवान कृष्ण जी के प्रतिमा को रथ में बैठा कर नगर भ्रमण के लिय निकाला जाता है।
विदेशो में इस्कॉन मन्दिर के द्वारा रथयात्रा का आयोजन होता है। डब्लिन,टोरेंटो, लंडन,मेलबर्न, पेरिस,सिंगापूर,न्यूयॉर्क, केलिफोर्निया तथा बांगलादेश सहित लगभग 100 से भी अधिक देशो में रथयात्रा का बहुत बडा आयोजन होता है जिसे एक त्योहार की तरह मनाया जाता है।
*बलभद्र जी के रथ का संक्षिप्त परिचय*
1. रथ का नाम -तालध्वज रथ
2 कुल काष्ठ खंडो की संख्या -763
3.कुल चक्के -14
4. रथ की ऊंचाई- 44 फीट
5.रथ की लंबाई चौड़ाई - 33 फ़ीट
6.रथ के सारथि का नाम - मातली
7.रथ के रक्षक का नाम-वासुदेव
8. रथ में लगे रस्से का नाम- वासुकि नाग
*भगवान् जगन्नाथ जी के रथ का संक्षिप्त परिचय*
1. रथ का नाम -नंदीघोष रथ
2 कुल काष्ठ खंडो की संख्या -832
3.कुल चक्के -16
4. रथ की ऊंचाई- 45 फीट
5.रथ की लंबाई चौड़ाई - 34 फ़ीट 6 इंच
6.रथ के सारथि का नाम - दारुक
7.रथ के रक्षक का नाम- गरुड़
8. रथ में लगे रस्से का नाम- शंखचूड़ नागुनी
*सुभद्रा जी के रथ का संक्षिप्त परिचय*
1. रथ का नाम - देवदलन रथ
2 कुल काष्ठ खंडो की संख्या -593
3.कुल चक्के -12
4. रथ की ऊंचाई- 43 फीट
5.रथ की लंबाई चौड़ाई - 31 फ़ीट 6 इंच
6.रथ के सारथि का नाम - अर्जुन
7.रथ के रक्षक नाम-नाम- जयदुर्गा
8. रथ में लगे रस्से का नाम- स्वर्णचूड़ नागुनी
ଜୟ ଜଗନ୍ନାଥ
Maandhan Kisan https://maandhan.in/



Pearlvine Mynt Digital Revolution
जवाब देंहटाएंPEARLVINE INTERNATIONAL WILL NEVER END 💪🏻💪🏻
Friends pearlvine internatinal is a digital account wallet. The cable which is 30 $ USD . This is an autofilling plan. If you leave an ID in it and leave it. Even then you will get autopool 43856.40 $ USD.... from autofilling. This income will come in 8 installment.
If you work in it And if you direct someone by yourself, then in 1 second you get 15 $ USD. in direct income. Which you can also withdraw immediately. Direct has a no limit. Whatever you direct. Each direct gets 15 $ USD. And wherever an ID is found up to 8 levels, then each ID gets 1.25 $ USD separately.
Free registration👇👇
https://pearlvine.com/register.php?sponsor_by=100272601473
Add fund in PayPal account....and activate your account for autopool income
💼💼💼💼💼💼
full ପ୍ଲାନ https://youtu.be/xJYg7tHbyPs
https://pearlvineodia.blogspot.com/2020/06/pearlvine-autopool.html
https://odiabhagabata.blogspot.com/2020/06/blog-post.html
जवाब देंहटाएंPEARLVINE DIGITAL BANK
जवाब देंहटाएंGLOBAL ACCOUNT NUMBER,
NET BANKING,
DIGITAL PASSBOOK
Account Open कराये मात्र रु.2250/- में
Pearlvine International Digital Banking System
Since 2015 Forever
Pearlvine.com
Sponsor Id: 100272601473
Helpline E-mail : 100272601473@pvmail.co
Whatsapp : 9437400715
ଜୟ ଜଗନ୍ନାଥ
ଓଡ଼ିଆ ରେ https://pearlvineodia.blogspot.com/2020/06/digital-account-opening.html?m=1
Hindi
https://ashutoshamruta.blogspot.com/2020/12/pearlvine-international-bankusa.html
Full Plan Story hindi https://youtu.be/AC6b1AmAAVQ
Free Registration link's
https://pearlvine.com/register.php?sponsor_by=100272601473
Maandhan Kisan
https://maandhan.in/
PEARLVINE DIGITAL BANK
जवाब देंहटाएंGLOBAL ACCOUNT NUMBER,
NET BANKING,
DIGITAL PASSBOOK
Account Open कराये मात्र रु.2250/- में
Pearlvine International Digital Banking System
Since 2015 Forever
Pearlvine.com
Sponsor Id: 100272601473
Helpline E-mail : 100272601473@pvmail.co
Whatsapp : 9437400715
ଜୟ ଜଗନ୍ନାଥ
ଓଡ଼ିଆ ରେ https://pearlvineodia.blogspot.com/2020/06/digital-account-opening.html?m=1
Hindi
https://ashutoshamruta.blogspot.com/2020/12/pearlvine-international-bankusa.html
Full Plan Story hindi https://youtu.be/AC6b1AmAAVQ
Free Registration link's
https://pearlvine.com/register.php?sponsor_by=100272601473
Maandhan Kisan
https://maandhan.in/