मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

दिवाली की संपूर्ण पूजा विधि मंत्र सहित, ऐसे करें दिवली पर लक्ष्मी पूजन

 दिवाली की संपूर्ण पूजा विधि मंत्र सहित, ऐसे करें दिवली पर लक्ष्मी पूजन


1:-दिवाली पूजन के लिए जरूरी सामग्री

कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली। कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन।


2:-दिवाली पूजा की इस तरह करें तैयारी

पूजन शुरू करने से पहले गणेश लक्ष्मी के विराजने के स्थान पर रंगोली बनाएं। जिस चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक दीपक जलाएं। इसके बाद प्रतिमा स्थापित करने वाले स्थान पर कच्चे चावल रखें फिर गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें। इस दिन लक्ष्मी, गणेश के साथ कुबेर, सरस्वती एवं काली माता की पूजा का भी विधान है अगर इनकी मूर्ति हो तो उन्हें भी पूजन स्थल पर विराजमान करें। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा के बिना देवी लक्ष्मी की पूजा अधूरी रहती है। इसलिए भगवान विष्ण के बायीं ओर रखकर देवी लक्ष्मी की पूजा करें।


3:-दीवाली पूजन विधि और मंत्र:

दिवाली पूजन आरंभ करें पवित्री मंत्र सेः “ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥” इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन और पूजन सामग्री पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगाएं। आचमन करें – ऊं केशवाय नम: ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, फिर हाथ धोएं। इस मंत्र से आसन शुद्ध करें- ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ अब चंदन लगाएं। अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए मंत्र बोलें चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठ सर्वदा।दीपावली पूजन के लिए 


4:-दीपावली पूजन के लिए संकल्प मंत्रः

बिना संकल्प के पूजन पूर्ण नहीं होता इसलिए संकल्प करें। पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें- ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2070 तमेऽब्दे पिंगल नाम संवत्सरे दक्षिणायने हेमंत ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस तिथौ रविवासरे हस्त नक्षत्रे आयुष्मान योगे चतुष्पद करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति नवग्रहप्रणव सहितं कुलदेवतानां पूजनसहितं स्थिर लक्ष्मी महालक्ष्मी देवी पूजन निमित्तं एतत्सर्वं शुभ-पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये।


5:-कलश की पूजा करेंः

कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का पल्लव रखें। कलश में सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें। नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आह्वान करें। ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांग सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)


6:-दीपावली गणेश पूजा मंत्र विधिः

नियमानुसार सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें। मंत्र बोलें- गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। आवाहन मंत्र- हाथ में अक्षत लेकर बोलें -ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।। अक्षत पात्र में अक्षत छोड़ें।


7:-पद्य, आर्घ्य, स्नान, आचमन मंत्र – एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:। इस मंत्र से चंदन लगाएं: इदम् रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:, इसके बाद- इदम् श्रीखंड चंदनम् बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। अब सिन्दूर लगाएं “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:। दूर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं। गणेश जी को लाल वस्त्र पहनाएं। इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि। गणेश जी को प्रसाद चढ़ाएं: इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्र: – इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। अब आचमन कराएं। इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:। इसके बाद पान सुपारी दें: इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:। कलश पूजन के बाद कुबेर और इंद्र सहित सभी देवी देवताओं की पूजा गणेश पूजन की तरह करें। बस गणेश जी के स्थान पर संबंधित देवी-देवताओं के नाम लें।


8:-दीपावली लक्ष्मी पूजन विधि मंत्र

सबसे पहले माता लक्ष्मी का ध्यान करेंः – ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी। गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।। लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। ज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः। नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।। अब हाथ में अक्षत लेकर बोलें “ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ, एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः।। इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, कमलायै नमो नमः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।’इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं। अब लक्ष्मी देवी को इदं रक्त वस्त्र समर्पयामि कहकर लाल वस्त्र पहनाएं।


9:-देवी लक्ष्मी की अंग पूजा मंत्र एवं विधि

बाएं हाथ में अक्षत लेकर दाएं हाथ से थोड़ा-थोड़ा अक्षत छोड़ते जाएं— ऊं चपलायै नम: पादौ पूजयामि ऊं चंचलायै नम: जानूं पूजयामि, ऊं कमलायै नम: कटि पूजयामि, ऊं कात्यायिन्यै नम: नाभि पूजयामि, ऊं जगन्मातरे नम: जठरं पूजयामि, ऊं विश्ववल्लभायै नम: वक्षस्थल पूजयामि, ऊं कमलवासिन्यै नम: भुजौ पूजयामि, ऊं कमल पत्राक्ष्य नम: नेत्रत्रयं पूजयामि, ऊं श्रियै नम: शिरं: पूजयामि। 


10:-अष्टसिद्धि पूजन मंत्र और विधि

अंग पूजन की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्र बोलें। ऊं अणिम्ने नम:, ओं महिम्ने नम:, ऊं गरिम्णे नम:, ओं लघिम्ने नम:, ऊं प्राप्त्यै नम: ऊं प्राकाम्यै नम:, ऊं ईशितायै नम: ओं वशितायै नम:।


11:-अष्टलक्ष्मी पूजन मंत्र और विधि

अंग पूजन एवं अष्टसिद्धि पूजा की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें। ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नम:, ओं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:, ओं अमृत लक्ष्म्यै नम:, ऊं लक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्य लक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योग लक्ष्म्यै नम:


12:-प्रसाद अर्पित करने का मंत्र

” इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें। मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्र: “इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” बालें। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन कराएं। इदं आचमनयं ऊं महालक्ष्मियै नम:। इसके बाद पान सुपारी चढ़ाएं:- इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि। अब एक फूल लेकर लक्ष्मी देवी पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं महालक्ष्मियै नम:।


लक्ष्मी देवी की पूजा के बाद भगवान विष्णु एवं शिव जी पूजा करने का विधान है। व्यापारी लोग गल्ले की पूजा करें। पूजन के बाद क्षमा प्रार्थना और आरती करें।


ॐ हर हर महादेव || जय श्री महाकाल || जय श्री राधे कृष्णा || ॐ नमः शिवाय || जय श्री राम || जय बजरंगबली || जय माता दी || 🙏🙏🌏💫🌈



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शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024

श्री दुर्गा माँ के 108 नाम

 श्री दुर्गा माँ के 108 नाम (अर्थ सहित)

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ॐ अब्याज करुणा मूर्तये नमः 


1. सती- अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली

2. साध्वी- आशावादी

3. भवप्रीता- भगवान् शिव पर प्रीति रखने वाली

4. भवानी- ब्रह्मांड की निवास

5. भवमोचनी- संसार बंधनों से मुक्त करने वाली

6. आर्या- देवी

7. दुर्गा- अपराजेय

8. जया- विजयी

9. आद्य- शुरूआत की वास्तविकता

10. त्रिनेत्र- तीन आँखों वाली

11. शूलधारिणी- शूल धारण करने वाली

12. पिनाकधारिणी- शिव का त्रिशूल धारण करने वाली

13. चित्रा- सुरम्य, सुंदर

14. चण्डघण्टा- प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली

15. महातपा- भारी तपस्या करने वाली

16. मन - मनन- शक्ति

17. बुद्धि- सर्वज्ञाता

18. अहंकारा- अभिमान करने वाली

19. चित्तरूपा- वह जो सोच की अवस्था में है

20. चिता- मृत्युशय्या

21. चिति- चेतना

22. सर्वमन्त्रमयी- सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली

23. सत्ता- सत्-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है

24. सत्यानन्दस्वरूपिणी- अनन्त आनंद का रूप

25. अनन्ता- जिनके स्वरूप का कहीं अन्त नहीं

26. भाविनी- सबको उत्पन्न करने वाली, खूबसूरत औरत

27. भाव्या- भावना एवं ध्यान करने योग्य

28. भव्या- कल्याणरूपा, भव्यता के साथ

29. अभव्या - जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं

30. सदागति- हमेशा गति में, मोक्ष दान

31. शाम्भवी- शिवप्रिया, शंभू की पत्नी

32. देवमाता- देवगण की माता

33. चिन्ता- चिन्ता

34. रत्नप्रिया- गहने से प्यार

35. सर्वविद्या- ज्ञान का निवास

36. दक्षकन्या- दक्ष की बेटी

37. दक्षयज्ञविनाशिनी- दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली

38. अपर्णा- तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली

39. अनेकवर्णा- अनेक रंगों वाली

40. पाटला- लाल रंग वाली

41. पाटलावती- गुलाब के फूल या लाल परिधान या फूल धारण करने वाली

42. पट्टाम्बरपरीधाना- रेशमी वस्त्र पहनने वाली

43. कलामंजीरारंजिनी- पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली

44. अमेय- जिसकी कोई सीमा नहीं

45. विक्रमा- असीम पराक्रमी

46. क्रूरा- दैत्यों के प्रति कठोर

47. सुन्दरी- सुंदर रूप वाली

48. सुरसुन्दरी- अत्यंत सुंदर

49. वनदुर्गा- जंगलों की देवी

50. मातंगी- मतंगा की देवी

51. मातंगमुनिपूजिता- बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय

52. ब्राह्मी- भगवान ब्रह्मा की शक्ति

53. माहेश्वरी- प्रभु शिव की शक्ति

54. इंद्री- इन्द्र की शक्ति

55. कौमारी- किशोरी

56. वैष्णवी- अजेय

57. चामुण्डा- चंड और मुंड का नाश करने वाली

58. वाराही- वराह पर सवार होने वाली

59. लक्ष्मी- सौभाग्य की देवी

60. पुरुषाकृति- वह जो पुरुष धारण कर ले

61. विमिलौत्त्कार्शिनी- आनन्द प्रदान करने वाली

62. ज्ञाना- ज्ञान से भरी हुई

63. क्रिया- हर कार्य में होने वाली

64. नित्या- अनन्त

65. बुद्धिदा- ज्ञान देने वाली

66. बहुला- विभिन्न रूपों वाली

67. बहुलप्रेमा- सर्व प्रिय

68. सर्ववाहनवाहना- सभी वाहन पर विराजमान होने वाली

69. निशुम्भशुम्भहननी- शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली

70. महिषासुरमर्दिनि- महिषासुर का वध करने वाली

71. मधुकैटभहंत्री- मधु व कैटभ का नाश करने वाली

72. चण्डमुण्ड विनाशिनि- चंड और मुंड का नाश करने वाली

73. सर्वासुरविनाशा- सभी राक्षसों का नाश करने वाली

74. सर्वदानवघातिनी- संहार के लिए शक्ति रखने वाली

75. सर्वशास्त्रमयी- सभी सिद्धांतों में निपुण

76. सत्या- सच्चाई

77. सर्वास्त्रधारिणी- सभी हथियारों धारण करने वाली

78. अनेकशस्त्रहस्ता- हाथों में कई हथियार धारण करने वाली

79. अनेकास्त्रधारिणी- अनेक हथियारों को धारण करने वाली

80. कुमारी- सुंदर किशोरी

81. एककन्या- कन्या

82. कैशोरी- जवान लड़की

83. युवती- नारी

84. यति- तपस्वी

85. अप्रौढा- जो कभी पुराना ना हो

86. प्रौढा- जो पुराना है

87. वृद्धमाता- शिथिल

88. बलप्रदा- शक्ति देने वाली

89. महोदरी- ब्रह्मांड को संभालने वाली

90. मुक्तकेशी- खुले बाल वाली

91. घोररूपा- एक भयंकर दृष्टिकोण वाली

92. महाबला- अपार शक्ति वाली

93. अग्निज्वाला- मार्मिक आग की तरह

94. रौद्रमुखी- विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा

95. कालरात्रि- काले रंग वाली

96. तपस्विनी- तपस्या में लगे हुए

97. नारायणी- भगवान नारायण की विनाशकारी रूप

98. भद्रकाली- काली का भयंकर रूप

99. विष्णुमाया- भगवान विष्णु का जादू

100. जलोदरी- ब्रह्मांड में निवास करने वाली

101. शिवदूती- भगवान शिव की राजदूत

102. करली - हिंसक

103. अनन्ता- विनाश रहित

104. परमेश्वरी- प्रथम देवी

105. कात्यायनी- ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय

106. सावित्री- सूर्य की बेटी

107. प्रत्यक्षा- वास्तविक

108. ब्रह्मवादिनी- वर्तमान में हर जगह वास करने वाली।


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मंगलवार, 1 अक्टूबर 2024

बुजर्ग हम से वैज्ञानिक रूप से बहुत आगे थे

 हमारे बुजर्ग हम से वैज्ञानिक रूप से बहुत आगे थे। थक हार कर वापिश उनकी ही राह पर वापिश आना पड़ रहा है।


1. मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक और फिर कैंसर के खौफ से दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ जाना।


2. अंगूठाछाप से दस्तखतों (Signatures) पर और फिर अंगूठाछाप (Thumb Scanning) पर आ जाना।


3. फटे हुए सादा कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों पर और फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना।


4. सूती से टैरीलीन, टैरीकॉट और फिर वापस सूती पर आ जाना ।


5. जयादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना और फिर IIM MBA करके आर्गेनिक खेती पर पसीने बहाना।


6.  क़ुदरती से प्रोसेसफ़ूड (Canned Food & packed juices) पर और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा क़ुदरती खानों पर आ जाना।


7. पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) पर और फिर आखिरकार जी भर जाने पर पुरानी (Antiques) पर उतरना।


8. बच्चों को इंफेक्शन से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर मिट्टी से खिलाना....


9. गाँव, जंगल,   से डिस्को पब और चकाचौंध की और भागती हुई दुनियाँ की और से फिर मन की शाँति एवं स्वास्थ के लिये शहर से जँगल गाँव की ओर आना।


 इससे ये निष्कर्ष निकलता है कि टेक्नॉलॉजी ने  जो दिया उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से दे रखा था।










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एक खतरनाक साजिश की सच्चाई

  🔸“संयुक्त परिवार को तोड़कर उपभोक्ता बनाया गया भारत: एक खतरनाक साजिश की सच्चाई* ⚡“जब परिवार टूटते हैं, तभी बाजार फलते हैं” — ये सिर्फ विच...