सोमवार, 30 अक्टूबर 2023

पूजा के लिए पंचामृत बनाने की विधि

 *स्वस्थसमृद्धपरिवार निर्माण प्रयास में*


*पूजा के लिए पंचामृत बनाने की विधि*


*किसी खास अवसर, व्रत-त्योहारों पर भगवान को नैवेद्य (भोग) के रूप में पंचामृत अर्पित करना चाहिए। पंचामृत में पांच चीजों का मिश्रण होता है जिसमें – दूध, दही, घी ,शहद, और शक्कर शामिल है।*


*पंचामृत का महत्व*


*पंचामृत को हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह केवल नैवेद्य (भोग) ही नहीं है,बल्कि एक दिव्य और पवित्र अमृत है।*



*पंचामृत के 5 घटक* 


*पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश जैसे 5 महाभूतों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें सृष्टि के मूल तत्व समाहित हैं।*


*यह देवी-देवताओं को भेंट करने का एक पवित्र माध्यम है और पूजा को सार्थक बनाता है।*


*पंचामृत में तुलसी के पत्ते डाले जाते हैं जो इसे और भी शुद्ध बना देते हैं।*


*यह हमारे शरीर, मन और आत्मा का शुद्धिकरण करता है और हमें आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।*


*पंचामृत को भगवान को अर्पित करना फिर प्रसाद रूप में इसका सेवन करना एक आनंददायक अनुभव होता है जो हमें दिव्यता का एहसास कराता है।*

*इस प्रकार, पंचामृत एक बहुमूल्य और पवित्र अमृत है जिसे हिंदू धर्म में बड़े आदर के साथ माना जाता है। यह सच्चे अर्थों में एक दिव्य अमृत है।*


*पंचामृत में शामिल प्रमुख घटक और उनका महत्व*


*पंचामृत को बनाने के लिए 5 मुख्य घटकों का उपयोग किया जाता है जिनका अपना विशेष महत्व है:*


*1. दूध:- दूध शुद्धता और पोषण का प्रतीक है।*


*गाय का कच्चा दूध सबसे उपयुक्त होता है।पूर्ण क्रीम वाला दूध इस्तेमाल करना चाहिए।*


*2. दही:-दही समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक है।*


*घर पर बनी ताज़ा दही सबसे अच्छी होती है। यह पंचामृत को क्रीमी बनाती है।*


*3. घी:-घी शुद्धिकरण और ऊर्जा का प्रतीक हैशुद्ध देसी घी का प्रयोग करना चाहिए।*


*4. शहद:- शहद मधुर बोलने का प्रतीक है।शुद्ध और प्राकृतिक शहद लेना चाहिए।*


*5. चीनी:-चीनी जीवन की मिठास को दर्शाती है,सफेद चीनी या मिश्री का उपयोग किया जा सकता है।*


*इन पांचों घटकों के संयोजन से पंचामृत की दिव्यता निर्मित होती है।*


*पंचामृत में तुलसी का महत्व*


*तुलसी को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र पौधा माना जाता है।*


*तुलसी में शुद्धिकरण और शक्ति वर्धक गुण होते हैं।*


*पंचामृत में तुलसी के पत्ते डालने से इसकी पवित्रता और शक्ति बढ़ जाती है।*


*तुलसी के एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोकेमिकल्स पंचामृत को और शुद्ध बनाते हैं।*


*पूजा के दौरान तुलसी सकारात्मक ऊर्जा अवशोषित करती है।*


*तुलसी युक्त पंचामृत एक शक्तिशाली प्रसाद बन जाता है।*


*तुलसी पंचामृत के पवित्र और आध्यात्मिक गुणों को बढ़ाती है।*


*इसलिए पंचामृत में तुलसी शामिल करना बहुत महत्वपूर्ण है।*



*पंचामृत की क्षेत्रीय विविधता*


*पंचामृत की रोचक विशेषताओं में से एक इसके विभिन्न क्षेत्रीय विविधता है।*


*आइए पंचामृत के कुछ लोकप्रिय क्षेत्रीय रूपों पर एक नज़र डालें:*


*महाराष्ट्र का पंचामृत –इसमें 5 मुख्य घटकों के साथ केले के टुकड़े और नारियल पानी मिलाया जाता है।*


*गुजराती पंचामृत – इसमें 5 मुख्य घटकों के साथ खजूर, अंजीर, किशमिश, अखरोट और केसर मिलाया जाता है।*


*ओडिशा का पंचामृत – इसमें आम का पल्प और कटहल के साथ मूल घटक डाले जाते हैं।*


*बंगाली पंचामृत – 5 मुख्य घटकों के साथ इसमें सुगंध लाने के लिए नारियल और इलायची डाली जाती है।*


*अतिरिक्त घटक कुछ और आकर्षक विकल्प जो आप पंचामृत में जोड़ सकते हैं:*


*केसर के रेशमी धागे जो सुंदर सुनहरा रंग और खुशबू देते हैं*


*जायफल का पाउडर जिससे कड़वा-मीठी सुगंध आती है*


*इलायची जो प्रतिरक्षा व पाचन क्षमता बढ़ाती है*


*पिस्ता या बादाम जो क्रंचिनेस देते हैं*


*केवड़ा पानी या गुलाब जल जो फूलों की खुशबू देते हैं*


*सारांश में, पंचामृत अपने मूल आध्यात्मिक तत्वों को बनाए रखते हुए भी स्थानीय पसंद को अपना लेता है। अपनी पूजा में विविधता लाने के लिए इन क्षेत्रीय विकल्पों को आज़माएँ!*


*पंचामृत को बनाते समय इन बातों का रखें ध्यान*


*पंचामृत को दिखने में सुंदर, खुशबूदार और स्वादिष्ट बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तकनीकें हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए।*


*उपयुक्त बर्तन का चयन करें*


*पंचामृत बनाने और परोसने के लिए चांदी या स्टील के बर्तन का इस्तेमाल करें। चांदी शुद्धता का प्रतीक है और नैवेद्य की पवित्रता बढ़ाती है। लोहा या प्लास्टिक के बर्तनों से बचें क्योंकि वे रासायनिक प्रतिक्रिया कर सकते हैं।*


*सही अनुपात में सामग्री मिलाएँ*


*दूध और दही का अनुपात 3:1 या 4:1 होना चाहिए ताकि स्वाद संतुलित बना रहे। केसर, इलायची आदि की बहुत कम मात्रा डालनी चाहिए। तरल पदार्थ और चीनी का स्तर सही होना चाहिए ताकि पंचामृत की बनावट सही बने।*


*मिश्रण का सही क्रम अपनाएँ*


*पहले दूध और दही को अच्छी तरह मिलाएँ, फिर चीनी मिलाकर घोलें, उसके बाद घी, शहद और अंत में सुगंधित पदार्थ जैसे केसर मिलाएँ। अंत में तुलसी पत्तियों से सजाएँ।*


*श्रद्धा और भक्ति से अर्पित करें*


*इन तकनीकों का पालन करके आप दिखने और स्वाद में शानदार पंचामृत तैयार कर सकते हैं।* 


*मंदिरों में इस्तेमाल होने वाली परंपरागत विधि का अनुसरण करें और श्रद्धा भाव से भगवान को अर्पण करें।*


 *आइए जानते हैं पंचामृत बनाने की सरल पारंपरिक विधि* 


*अब जबकि आप पंचामृत के महत्व और घटकों के बारे में जानते हैं, चलिए घर पर इस दिव्य नैवेद्य को बनाने की विस्तृत रेसिपी पर एक नज़र डालें।*


*सामग्री:*


*1 कप गाय का दूध*

*1/4 कप दही*

*1 बड़ा चम्मच चीनी*

*1 चम्मच घी*

*1 चम्मच शहद*

*2-3 तुलसी के पत्ते*

*केसर की एक पिंच (वैकल्पिक)*


*बनाने की विधि:*


*एक साफ़ चांदी या स्टील के बोल में 1 कप गाय का दूध लें।*


*अपनी पसंद के मुताबिक़ दही डालें।*


*क्रीमी बनावट के लिए*

 

*1/4 कप दही डालें।*

*1 बड़ा चम्मच चीनी डालकर अच्छी तरह मिलाएँ।*

*अब इसमें 1 चम्मच शुद्ध गाय का घी डालकर अच्छी तरह मिलाएँ।*

*अब 1 चम्मच शहद डालकर अच्छी तरह मिलाएँ।*

*केसर की एक पिंच बिछाएँ (वैकल्पिक)।* *केसर अच्छी तरह मिल जाए तब तक मिलाएँ।*

*2-3 तुलसी के पत्ते धोकर पंचामृत में आराम से डाल दें।*

*2-3 मिनट के लिए निस्पंदित होने दें।* 


*पंचामृत अब चढ़ाने के लिए तैयार है!*


*प्रत्येक बार पंचामृत निकालते समय साफ़ चम्मच का प्रयोग करें।*


*तैयार करते समय मंत्रोच्चारण करने से अतिरिक्त आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।*


*सही घटकों और विधि से पंचामृत बनाना आसान है। अपने पसंदीदा क्षेत्रीय स्वादों के साथ इसे कस्टमाइज़ करें। भगवान को समर्पित करने के लिए भक्ति के साथ चढ़ाएँ!*



*पंचामृत के बारे में कुछ आम प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार हैं:*



*प्रश्न: पंचामृत में कौन सी सामग्रियां होती हैं?*



*उत्तर: पंचामृत बनाने की 5 मुख्य सामग्रियां हैं: -दूध -दही -घी -शहद -चीनी बेहतर आध्यात्मिक लाभ के लिए पारंपरिक रूप से तुलसी के पत्ते भी डाले जाते हैं।*


*प्रश्न: क्या पंचामृत में चीनी की जगह मिश्री का उपयोग किया जा सकता है?*



*उत्तर: हाँ, पंचामृत को और सात्विक और आध्यात्मिक रूप से पौष्टिक बनाने के लिए आमतौर पर सफेद चीनी की जगह मिश्री का उपयोग किया जाता है।*


*प्रश्न: अधिकतम लाभ के लिए पंचामृत कैसे लिया जाना चाहिए?*


*उत्तर: -पंचामृत को छोटी मात्रा में पवित्र प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। -सेवन के दौरान पवित्र मंत्रोच्चारण करके इसकी आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाएं। -बाद में तुलसी के पत्ते चबाकर पंचामृत के सारे लाभों को अवशोषित करें। इस प्रकार पंचामृत का सेवन करने से आपको इसके अधिकतम लाभ प्राप्त होंगे।*



शनिवार, 21 अक्टूबर 2023

अद्भूत 001

 #अद्भूत 🙏


गणित में कोई भी संख्या 1 से 10 तक के सभी अंकों से नहीं कट सकती, लेकिन इस विचित्र संख्या को देखिये ..!


दरअसल, सदियों तक यह माना जाता रहा था कि ऐसी कोई भी संख्या नहीं है जिसे 1 से 10 तक के सभी अंको से विभाजित किया जा सके। लेकिन रामानुजन ने इन अंकों के साथ माथापच्ची करके इस मिथ को भी तोड़ दिया था। उन्होंने एक ऐसी संख्या खोजी थी जिसे 1 से 10 तक के सभी अंकों से विभाजित किया जा सकता है। यानी भाग दिया जा सकता है। यह संख्या है 2520,


संख्या 2520 अन्य संख्याओं की तरह वास्तव में एक सामान्य संख्या नही है, यह वो संख्या है जिसने विश्व के गणितज्ञों को अभी भी आश्चर्य में किया हुआ है।


यह विचित्र संख्या 1 से 10 तक प्रत्येक अंक से भाज्य है। ऐसी संख्या जिसे इकाई तक के किसी भी अंक से भाग देने के उपरांत शेष शून्य रहे, बहुत ही असम्भव/ दुर्लभ है - ऐसा प्रतीत होता है।


अब निम्न सत्य को देखें : 


2520 ÷ 1 = 2520

2520 ÷ 2 = 1260

2520 ÷ 3 = 840

2520 ÷ 4 = 630

2520 ÷ 5 = 504

2520 ÷ 6 = 420

2520 ÷ 7 = 360

2520 ÷ 8 = 315

2520 ÷ 9 = 280

2520 ÷ 10 = 252


 महान गणितज्ञ अभी भी आश्चर्यचकित है  : 2520 वास्तव में एक गुणनफल है《7 x 30 x 12》का। उन्हे और भी आश्चर्य हुआ जब प्रमुख गणितज्ञ द्वारा यह संज्ञान में लाया गया कि संख्या 2520 हिन्दू संवत्सर के अनुसार एकमात्र यही संख्या है जो वास्तव में उचित बैठ रही है, जो इस गुणनफल से प्राप्त हैः 


सप्ताह के दिन (7) x माह के दिन (30) x वर्ष के माह (12) = 2520



यही है भारतीय गणना की श्रेष्ठता 🙏

बुधवार, 18 अक्टूबर 2023

एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब है *नवदुर्गा* के नौ स्वरूप

 एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब है *नवदुर्गा* के नौ स्वरूप-


1. जन्म ग्रहण करती हुई कन्या "शैलपुत्री" स्वरूप है !

2. कौमार्य अवस्था तक "ब्रह्मचारिणी" का रूप है !

3. विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह "चंद्रघंटा" समान है !

4. नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह "कूष्मांडा" स्वरूप है !

5. संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री "स्कन्दमाता" हो जाती है !

6. संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री "कात्यायनी" रूप है !

7. अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह "कालरात्रि" जैसी है !

8. संसार ( कुटुंब ही उसके लिए संसार है ) का उपकार करने से "महागौरी" हो जाती है !


9. धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार मे अपनी संतान को सिद्धि ( समस्त सुख-संपदा ) का आशीर्वाद देने वाली "सिद्धिदात्री" हो जाती है !


*आप सपरिवार को शारदीय नवरात्र की अनंत शुभकामनाएँ.!!*

रविवार, 15 अक्टूबर 2023

शक्ति रुपेण मां दुर्गा

 🕉️🚩🌹🕉️🚩🌹🕉️🚩🌹


*🚩🕉️शक्ति रुपेण मां दुर्गा*


🚩🕉️🌹🚩🕉️🌹🚩🕉️🌹


*🚩🕉️दुर्गा मां शक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं जिन्हें देवी, शक्ति और पार्वती,जग्दम्बा और आदि नामों से भी जाना जाता हैं शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं जिनकी तुलना परम ब्रह्म से की जाती है। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती योगमाया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं।*


*🚩अन्य नाम🚩*


*🚩🕉️देवी, शक्ति, गौरी, नारायणी, ब्राह्मणी, वैष्णवी, कल्याणी, शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री, आदि शक्ति, सती,*


*🚩🕉️मां दुर्गा के मंत्र*


*🕉️ॐ सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके सारण्ये त्र्यमबिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥*


*🕉️ॐ सर्वस्वरूपे सर्वेसे सर्वशक्ति समन्विते भये भयस्त्रही नौ देवी दुर्गे देवि नमोस्तुते*


*🚩🕉️मां दुर्गा के अस्त्र*


*🔱⚜️त्रिशूल, चक्र, गदा, धनुष, शंख, तलवार,कमल, तीर, अभयहस्त , परशु, रस्सी , पाश , भाला , ढाल , डमरू , खप्पर , अग्निकटोरी*


*🚩🕉️मां दुर्गा द्वारा लड़े गये युद्ध*


*🕉️🚩महिषासुर वध, धूमरलोचन वध, शुम्भ- निशुंभ वध, दुर्गमासुर वध*


*🚩🪔मां दुर्गा का प्रतीक*


*🕉️🚩कुमारी कन्या और कलश*


*🕉️🚩मां का वर्ण*


*🕉️🚩लाल, पीला और केसरिया*


*🚩🕉️जीवनसाथी* *भगवान शिव*


*🚩🕉️भाई-बहन - विष्णु, गंगा*


*🚩🕉️मां दुर्गा की सवारी*


*🚩🕉️सिंह, हर तिथि पर अलग वाहन होता है*


*🚩🕉️त्यौहार व उत्सव* 


*🚩🕉️चैत्र नवरात्रि, श्रावणी नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि, गुप्त नवरात्रि, दुर्गाष्टमी, महासप्तमी, महानवमि, कन्यापूजन और दशाएन*


*🚩🕉️दुर्गा का निरूपण सिंह पर सवार एक देवी के रूप में की जाती है। दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं जिन सभी में कोई न कोई शस्त्रास्त्र होते है। उन्होने महिषासुर नामक असुर का वध किया। महिषासुर (= महिष + असुर = भैंसा जैसा असुर) करतीं हैं। हिन्दू ग्रन्थों में वे शिव की पत्नी दुर्गा के रूप में वर्णित हैं। जिन ज्योतिर्लिंगों में देवी दुर्गा की स्थापना रहती है उनको सिद्धपीठ कहते है। वहाँ किये गए सभी संकल्प पूर्ण होते है। माता का दुर्गा देवी नाम दुर्गम नाम के महान दैत्य का वध करने के कारण पड़ा। माता ने शताक्षी स्वरूप धारण किया और उसके बाद शाकंभरी देवी के नाम से विख्यात हुई शाकंभरी देवी ने ही दुर्गमासुर का वध किया। जिसके कारण वे समस्त ब्रह्मांड में दुर्गा देवी के नाम से भी विख्यात हो गई। माता के देश में अनेकों मंदिर हैं कहीं पर महिषासुरमर्दिनि शक्तिपीठ तो कहीं पर कामाख्या देवी। यही देवी कोलकाता में महाकाली के नाम से विख्यात और सहारनपुर के प्राचीन शक्तिपीठ मे शाकम्भरी देवी के रूप में ये ही पूजी जाती हैं।*


*🚩🕉️हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है (शाक्त साम्प्रदाय ईश्वर को देवी के रूप में मानता है)। वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु उपनिषद में देवी "उमा हैमवती" (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है। पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है। दुर्गा असल में शिव की पत्नी आदिशक्ति का एक रूप हैं, शिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है। एकांकी (केंद्रित) होने पर भी वह माया शक्ति संयोगवश अनेक हो जाती है। उस आदि शक्ति देवी ने ही सावित्री(ब्रह्मा जी की पहली पत्नी), लक्ष्मी, और मुख्य रूप से पार्वती(सती) के रूप में जन्म लिया और उसने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था। तीन रूप होकर भी दुर्गा (आदि शक्ति) एक ही है।*


*🚩🕉️देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं (सावित्री, लक्ष्मी एव पार्वती से अलग)। मुख्य रूप उनका "गौरी" है, अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप। उनका सबसे भयानक रूप "काली" है, अर्थात काला रूप। विभिन्न रूपों में दुर्गा भारत और नेपाल के कई मन्दिरों और तीर्थस्थानों में पूजी जाती हैं।भगवती दुर्गा की सवारी शेर है।*


*🚩🕉️मार्कण्डेय पुराण में ब्रहदेव ने मनुष्‍य जाति की रक्षा के लिए एक परम गुप्‍त, परम उपयोगी और मनुष्‍य का कल्‍याणकारी देवी कवच एवं व देवी सुक्‍त बताया है और कहा है कि जो मनुष्‍य इन उपायों को करेगा, वह इस संसार में सुख भोग कर अन्‍त समय में बैकुण्‍ठ को जाएगा। ब्रहदेव ने कहा कि जो मनुष्‍य दुर्गा सप्तशती का पाठ करेगा उसे सुख मिलेगा। भगवत पुराण के अनुसार माँ जगदम्‍बा का अवतरण श्रेष्‍ठ पुरूषो की रक्षा के लिए हुआ है। जबकि श्रीं मद देवीभागवत के अनुसार वेदों और पुराणों कि रक्षा के और दुष्‍टों के दलन के लिए माँ जगदंबा का अवतरण हुआ है। इसी तरह से ऋगवेद के अनुसार माँ दुर्गा ही आदि-शक्ति है, उन्‍ही से सारे विश्‍व का संचालन होता है और उनके अलावा और कोई अविनाशी नही है।*


*🚩🕉️इसीलिए नवरात्रि के दौरान नव दुर्गा के नौ रूपों का ध्‍यान, उपासना व आराधना की जाती है तथा नवरात्रि के प्रत्‍येक दिन मां दुर्गा के एक-एक शक्ति रूप का पूजन किया जाता है।*


🕉️🌹🚩🕉️🌹🚩🕉️🌹🚩


दशहरे का सन्देश

https://ashutoshamruta.blogspot.com/2022/05/blog-post_34.html



 एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब है *नवदुर्गा* के नौ स्वरूप-

1. जन्म ग्रहण करती हुई कन्या "शैलपुत्री" स्वरूप है !

2. कौमार्य अवस्था तक "ब्रह्मचारिणी" का रूप है !

3. विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह "चंद्रघंटा" समान है !

4. नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह "कूष्मांडा" स्वरूप है !

5. संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री "स्कन्दमाता" हो जाती है !

6. संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री "कात्यायनी" रूप है !

7. अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह "कालरात्रि" जैसी है !

8. संसार ( कुटुंब ही उसके लिए संसार है ) का उपकार करने से "महागौरी" हो जाती है !

9. धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार मे अपनी संतान को सिद्धि ( समस्त सुख-संपदा ) का आशीर्वाद देने वाली "सिद्धिदात्री" हो जाती है !


*आप सपरिवार को शारदीय नवरात्र की अनंत शुभकामनाएँ.!!*

एक खतरनाक साजिश की सच्चाई

  🔸“संयुक्त परिवार को तोड़कर उपभोक्ता बनाया गया भारत: एक खतरनाक साजिश की सच्चाई* ⚡“जब परिवार टूटते हैं, तभी बाजार फलते हैं” — ये सिर्फ विच...